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Showing posts from December, 2018
बुद्ध दर्शन
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बुद्ध दर्शन *प्रारंभ मुम्बई पूना भुसावल से* 🙏 🌹🌹🌹🌹🌹 🙏🏻 *बुद्ध दर्शन धम्म यात्रा* धम्म यात्रा में आकर अपनी पुण्य पारमि प्राप्त करे मंगलमय वातवरण मे धम्म संस्कार संघ के माध्यम से पुण्य बल प्राप्त करे इस मंगल मय अवसर को ना छोड़े धम्म यात्रा मे आकर अपनी पुण्य पारमी प्राप्त करे *1)दिनांक 25/2/2019 फरवरी* *से 9/3/2019 मार्च तक* *20 सीट अवेबल* *2) दिनांक 20/3/2019 मार्च से* *1/4/2019 एप्रिल तक* *25 सीट अवेबल* *3) दिनांक 12/5/2018 मई से* *24/5/2019 मई तक विशेष बुद्ध पौर्णिमा पवित्र स्थलो पर यह पुण्य पारमी का अवसर ना छोडे 30 सीट अवलेबल* *4) दिनांक 5/6/2019 जून से* *18/6/2019 जून तक* *25 सीट अवलेबल* *13 दिन तक धम्म यात्रा सिर्फ 12500 मे* - जल्दी करे यह अवसर बार बार नही आयेगा अँडवास - देकर सीट आरक्षित करे धम्म संस्कार संघ भुसावल के माध्यम से बौद्ध धम्म यात्रा का आयोजन किया गया है| 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चलो बुद्ध की ...
मार्गशीर्ष पौर्णिमा महत्व
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🌕 *मार्गशिर्ष पौर्णिमा* 🌕 बौद्ध धम्मामध्ये मार्गशिर्ष पौर्णिमेला महत्वाचे स्थान आहे. या पौर्णिमेला भगवान बुद्ध राजगृहाला गेले असता तेव्हा श्रेनीय बिंबिसार राजाने यष्टिवन दान दिले. भगवान बुद्ध आल्याचे राजाला समजताच तेव्हा त्यांच्या दर्शनासाठी राजा व त्या नगरीतील प्रजा गेली. सर्वांनी भिक्खू संघासह भगवान बुद्धांचे अभिवादन (त्रिवार पंचांग प्रणाम) केले. त्रिशरण पंचशील ग्रहण करून त्रिरत्नाला अंगिकार केला. त्यानंतर राजाने भगवान बुद्धासह भिक्खूसंघाला उद्याचे भोजन दान स्वीकारण्याचे निमंत्रण दिले. भगवान बुद्धाने मौन ठेवून त्या भोजन दानाचे निमंत्रण स्वीकारले. भिक्खूसंघासह बुद्धांनी त्यांच्या घरी जाऊन भोजन ग्रहण केले. भोजनदान संपल्यानंतर धम्म उपदेश दिला. राजाने शांत मनाने श्रवण केला. आणि शेवटी भगवान बुद्धांना व भिक्खू संघाला वेळूवन दान दिले. म्हणून याच पौर्णिमेला सिलोनमध्ये (श्रीलंका) या दिवसापासून अर्हता भिक्खुणी संघमित्राच्या हस्ते भिक्षुनी संघाची स्थापना केली. अर्हता भिक्षुनी संघमित्रा ही सम्राट अशोकाची एकुलती एक मुलगी होती. ती विवाहीत ...
सभी संस्कार अनित्य आहे
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धम्म प्रभात ☸अनिच्च (अनित्य)☸ तथागत बुद्ध ने कहा - पाँचों स्कंध अनित्य हैं- विज्ञान अनित्य हैं, दु:ख अनित्य हैं । जो अनित्य हैं, सो दु:ख हैं । जो दु:ख हैं, सो अनात्म हैं । जो अनात्म हैं, वह न मेरा हैं, न वह मैं हूँ और न वह मेरी आत्मा हैं । मन की उत्पत्ति, चित्त, चेतना ही विज्ञान हैं । पूर्व जन्म के क्लेश और कर्म के कारण उत्पन्न नई चेतना को विज्ञान कहा गया हैं । इससे नामरूप की उत्पत्ति होती हैं । भिक्खुओ ! जब अपनी आंख ठीक हो, बाहर की वस्तुएं ( रूप ) सामने हों, और हों उनका संयोग, तभी उससे उत्पन्न हों सकने वाले विज्ञान का प्रादुर्भाव होता हैं । इसलिए विज्ञान हेतु ( प्रत्यय =कारण ) से पैदा होता हैं; बिना हेतु से विज्ञान की उत्पत्ति नहीं होती । बुद्ध ने कहा - सब्बे सञ्खारा अनिच्चाति, सब्बे सञ्खारा दुक्खाति, सब्बे धम्मा अनत्ताति, एस मग्गो विसुद्धिया । यह बुद्धों के द्वारा उपदेशित विशुद्धि मार्ग हैं, जो प्रज्ञा से देखा जाता हैं, भावित किया जाता हैं। यही मार्ग से निर्वाण की प्राप्ति होती हैं । नमो बुद्धाय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बुद्ध दर्शन
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*प्रारंभ मुम्बई पूना भुसावल से* 🙏 🌹🌹🌹🌹🌹 🙏🏻 *बुद्ध दर्शन धम्म यात्रा* धम्म यात्रा में आकर अपनी पुण्य पारमि प्राप्त करे मंगलमय वातवरण मे धम्म संस्कार संघ के माध्यम से पुण्य बल प्राप्त करे इस मंगल मय अवसर को ना छोड़े धम्म यात्रा मे आकर अपनी पुण्य पारमी प्राप्त करे *1)दिनांक 25/2/2019 फरवरी* *से 9/3/2019 मार्च तक* *20 सीट अवेबल* *2) दिनांक 20/3/2019 मार्च से* *1/4/2019 एप्रिल तक* *25 सीट अवेबल* *3) दिनांक 10/5/2018 मई से* *22/5/2019 मई तक विशेष बुद्ध पौर्णिमा पवित्र स्थलो पर यह पुण्य पारमी का अवसर ना छोडे 30 सीट अवलेबल* *4) दिनांक 5/6/2019 जून से* *18/6/2019 जून तक* *25 सीट अवलेबल* *13 दिन तक धम्म यात्रा सिर्फ 12500 मे* - जल्दी करे यह अवसर बार बार नही आयेगा अँडवास - देकर सीट आरक्षित करे धम्म संस्कार संघ भुसावल के माध्यम से बौद्ध धम्म यात्रा का आयोजन किया गया है| 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चलो बु...
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*प्रारंभ मुम्बई पूना भुसावल से* 🙏 🌹🌹🌹🌹🌹 🙏🏻 *बुद्ध दर्शन धम्म यात्रा* धम्म यात्रा में आकर अपनी पुण्य पारमि प्राप्त करे मंगलमय वातवरण मे धम्म संस्कार संघ के माध्यम से पुण्य बल प्राप्त करे इस मंगल मय अवसर को ना छोड़े धम्म यात्रा मे आकर अपनी पुण्य पारमी प्राप्त करे *1)दिनांक 25/2/2019 फरवरी* *से 9/3/2019 मार्च तक* *20 सीट अवेबल* *2) दिनांक 20/3/2019 मार्च से* *1/4/2019 एप्रिल तक* *25 सीट अवेबल* *3) दिनांक 10/5/2018 मई से* *22/5/2019 मई तक विशेष बुद्ध पौर्णिमा पवित्र स्थलो पर यह पुण्य पारमी का अवसर ना छोडे 30 सीट अवलेबल* *4) दिनांक 5/6/2019 जून से* *18/6/2019 जून तक* *25 सीट अवलेबल* *13 दिन तक धम्म यात्रा सिर्फ 12500 मे* - जल्दी करे यह अवसर बार बार नही आयेगा अँडवास - देकर सीट आरक्षित करे धम्म संस्कार संघ भुसावल के माध्यम से बौद्ध धम्म यात्रा का आयोजन किया गया है| 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चलो बुद्ध की और विश्व के ऐत...
महामंगलसुत्तं 38 मंगल कामना मराठीत अनुवाद
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महामंगलसुत्तं बहु देवा मनुस्सा च मंङ्गलानि अच्चिन्तयुं। आकंङ्खमाना सोत्थानं ब्रुहि मंङगलमुत्तमं॥१॥ असेवना च बालानं पण्डितानञ्च सेवना। पुजा च पुजनीयानं एतं मंङ्गलमुत्तमं॥२॥ पतिरुपदेसवासो च पुब्बे च कतपुञ्ञता। अत्तसम्मापणिधि च एतं मंङ्गलमुत्तमं॥३॥ बाहुसच्चं च सिप्पंञ्च विनयो च सुसिक्खितो। सुभासिता च या वाचा एतं मंङ्गलमुत्तमं॥४॥ माता-पितु उपट्ठानं पुत्तदारस्स सङ्गहो। अनाकुला च कम्मन्ता एतं मंङ्गलमुत्तमं॥५॥ दानंञ्च धम्मचरिया ञातकानं च सङ्गहो। अनवज्जानि कम्मानि एत मंङगलमुत्तमं॥६॥ अरति विरति पापा मज्जपाना च सञ्ञमो । अप्पमादो च धम्मेशु, एतं मङलमुत्तमं ।।७।। गारवो च निवातो च, सन्तुट्ठी च कतञ्ञुता । कालेन धम्मसवणं, एतं मङलमुत्तमं ।।८।। खन्ति च सोवचस्सता, समणानंञ्च दस्सनं । कालेन धम्मसाकच्छा, एतं मङलमुत्तमं ।।९।। तपो च ब्रह्मचरियंच, अरिय सच्चान दस्सनं निब्बाण सच्चिकिरिया च, एतं मङलमुत्तमं ।।१०।। फुट्ठस्स लोकधम्मेहि, चित्तं यस्स न कम्पति । असोकं विरजं खेमं, एतं मङलमुत्तमं ।।११।। एतादिसानि कत्वान, सब्बत्थंअपराजिता । सब्बत्थ सोत्थि गच्छन...
बुद्ध वंदना पाली
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बुद्ध पुजा : पाली अरहं सम्मासम्बुद्धो भगवा, बुद्ध भगवंन्त अभिवादेमि स्वाक्खातो भगवता धम्मो, धम्म नमस्सामि सुप्पटिपन्नो भगवतो सावकसंघो, संघं नमामि सरणत्तयं बुद्ध सरणं गच्छामि । धम्मं सरणं गच्छामि । संघं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्ध सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि संघं सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्ध सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि । ततियम्पि संघं सरणं गच्छामि । पंचसीलानि पाणातिपाता वेरमणि, सिक्खापदं समादियामि । अदिन्नादाना वेरमणि, सिक्खापदं समादियामि । कामेसु मिच्छाचारा वेरमणि, सिक्खापदं समादियामि । मुसावादा वेरमणि, सिक्खापदं समादियामि । सुरा-मेरय-मज्ज पमादठ्ठाना वेरमणि, सिक्खापदं समादियामि । बुद्ध पुजा वण्ण-गन्ध-गुणोपेतं एतं कुसुमसन्तति । पुजयामि मुनिन्दस्य, सिरीपाद सरोरुहे ।।१।। पुजेमि बुद्धं कुसुमेन नेनं, पुज्जेन मेत्तेन लभामि मोक्खं । पुप्फं मिलायति यथा इदं मे, कायो तथा याति विनासभावं।।२।। घनसारप्पदित्तेन, दिपेन तमधंसिना । तिलोकदीपं सम्बुद्धं पुजयामि तमोनुदं ।।३।। सुगन्धिकाय वंदनं, अनन्त गुण गन्धिना। सुगंधिना, हं गन्धेन, ...