तं पणमामि धम्मं।
*🌻धम्म प्रभात🌻*
*🙏🏻तं पणमामि धम्मं🙏🏻*
"स्वाक्खातो भगवता धम्मो सन्दिट्ठको अकालिको एहिपस्सिको ओपनेय्यिको पच्चत्तं वेदितब्बो विञ्ञूही'ति।"
अर्थात: *भगवान का धम्म स्वाख्यात है, तत्काल फलदायक है, समयान्तर में नहीं, यहीं दिखाई देने वालद, ( निर्वाण तक) पहुँचाने वाला और विज्ञों से अपने आप जानने योग्य है। ऐसे पर्याप्ति धम्म और नव प्रकार के लोकोत्तर धम्म के गुणोंआ का अनुस्मरण करना चाहिए। पर्याप्ति धम्म कहते हैं दु:ख रहित परमशान्ति की प्राप्ति के लिए बतलाते गए मार्ग को, अथवा यों कहिए कि सारे बुद्ध वचन ही पर्याप्ति धम्म है, चार आर्य मार्ग, चार आर्य फल और निर्वाण - ये नव प्रकार के लोकोत्तर धम्म है।*
"स्वाक्खातो भगवता धम्मो "
"स्वाक्खातो" *यानी सुआख्यात जो सरल और आसान शब्दों में उदाहरणों के साथ अच्छी प्रकार समझाया गया हुआ, ताकि सभी लोग आसानी से समझ सकें ।*
अर्थ और व्यंजन सहित सर्वांस में परिपूर्ण, परिशुद्ध ब्रह्मचर्य को प्रकाशित करने से स्वाक्यात है।
*स्वाक्खातो, इस पद में पर्याप्ति धम्म भी संगृहीत हो जाता है किन्तु दुसरों में लोकोत्तर धम्म है।*
*"भगवता" यानी भगवान का*
*"धम्मो" यानी धम्म, शिक्षा ।*
*"सन्दिठ्ठिको" यानी सांदृष्टीक अर्थात सम्यक दृष्टि दायक, सही, वैज्ञानिक दृष्टि देने वाला ।*
*सही क्या है और गलत क्या है ?*
*धम्म क्या है और अधम्म क्या है ?*
*श्रद्धा क्या है और अंधश्रद्धा क्या है ?*
*ज्ञान क्या है और अज्ञान क्या है ?*
इन बातों का अनुभूति जन्य ज्ञान देने वाला ( धम्म)। आर्य पुद्गल द्वारा स्वयं देखने योग्य है इस अर्थ में सन्दिट्ठिको (सांदृष्टिक) है।
*"अकालिको" यानी तत्काल फलदायक ।*
अपने फल को देने के लिए इसे काल नहीं है, इसलिए अकाल ही अकालिक है। *जितना जितना धर्म/ धम्म के मार्ग पर आगे बढ़ते रहेंगे, धम्म अभ्यास करते रहेंगे, उतना उतना फल तुरंत मिलता है ।*
एहिपस्सिको" यानी *आओ और देखो कहलाने योग्य ।*
*"ओपनेय्यिको" यानी उपर की ओर, आगे की ओर, निर्वाण की ओर ले जाने वाला । चित्त में लाने के योग्य होने से ओपनेय्यिक है।*
" पच्चतं वेदितब्बो विञ्ञूहीति" अर्थात विद्वानों द्वारा *प्रत्यक्ष अनुभूति के स्तर पर जानने योग्य है । कोई कहता, इसलिए विश्वास मत रखो, स्वयं अपने अनुभूति से जानो ।*
धम्म शब्द के अनेक अर्थ है ।
*तथागत सम्यक संबुद्ध की शिक्षा को धम्म कहते हैं। अष्टांगीक मार्ग जो दुःख मुक्ति का मार्ग है, जन्म-मृत्यु के चक्कर से मुक्ति का मार्ग उसे धम्म कहते है।*
धम्म और धर्म में अंतर है।
*धम्म यानी निसर्ग के नियम ।*
धम्म यानी कुदरत का कानून ।
*धम्म यानी गुण, धर्म, स्वभाव, लक्षण ।*
धम्म यानी चित्त ने जो धारण किया, उसे भी धम्म कहते हैं ।
*एस धम्मो सनन्तनो, यही सनातन धम्म है।*
इन गुणों का बार बार अनुस्मरण करने से हमारे चित्त में ऐसे गुणों का विकास संभवित होता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चित्त को बल मिलता है। *मनोवैज्ञानिक प्रभाव सुदृढ़ होते जाता है और धम्म के रास्ते चलते चलते एक दिन निर्वाण की प्राप्ति होती है यानी दु:खों से मुक्ति हो जाती है। यही तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य है।*
"अट्ठंगिको अरिय पथो जनानं,
मोक्खप्पवेसो उजुको'व मग्गो।
धम्मो अयं सन्तिकरो पणीतो,
निय्याणिको तं पणमामि धम्मं।।
नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*सबका मंगल हो*
*🙏🏻तं पणमामि धम्मं🙏🏻*
"स्वाक्खातो भगवता धम्मो सन्दिट्ठको अकालिको एहिपस्सिको ओपनेय्यिको पच्चत्तं वेदितब्बो विञ्ञूही'ति।"
अर्थात: *भगवान का धम्म स्वाख्यात है, तत्काल फलदायक है, समयान्तर में नहीं, यहीं दिखाई देने वालद, ( निर्वाण तक) पहुँचाने वाला और विज्ञों से अपने आप जानने योग्य है। ऐसे पर्याप्ति धम्म और नव प्रकार के लोकोत्तर धम्म के गुणोंआ का अनुस्मरण करना चाहिए। पर्याप्ति धम्म कहते हैं दु:ख रहित परमशान्ति की प्राप्ति के लिए बतलाते गए मार्ग को, अथवा यों कहिए कि सारे बुद्ध वचन ही पर्याप्ति धम्म है, चार आर्य मार्ग, चार आर्य फल और निर्वाण - ये नव प्रकार के लोकोत्तर धम्म है।*
"स्वाक्खातो भगवता धम्मो "
"स्वाक्खातो" *यानी सुआख्यात जो सरल और आसान शब्दों में उदाहरणों के साथ अच्छी प्रकार समझाया गया हुआ, ताकि सभी लोग आसानी से समझ सकें ।*
अर्थ और व्यंजन सहित सर्वांस में परिपूर्ण, परिशुद्ध ब्रह्मचर्य को प्रकाशित करने से स्वाक्यात है।
*स्वाक्खातो, इस पद में पर्याप्ति धम्म भी संगृहीत हो जाता है किन्तु दुसरों में लोकोत्तर धम्म है।*
*"भगवता" यानी भगवान का*
*"धम्मो" यानी धम्म, शिक्षा ।*
*"सन्दिठ्ठिको" यानी सांदृष्टीक अर्थात सम्यक दृष्टि दायक, सही, वैज्ञानिक दृष्टि देने वाला ।*
*सही क्या है और गलत क्या है ?*
*धम्म क्या है और अधम्म क्या है ?*
*श्रद्धा क्या है और अंधश्रद्धा क्या है ?*
*ज्ञान क्या है और अज्ञान क्या है ?*
इन बातों का अनुभूति जन्य ज्ञान देने वाला ( धम्म)। आर्य पुद्गल द्वारा स्वयं देखने योग्य है इस अर्थ में सन्दिट्ठिको (सांदृष्टिक) है।
*"अकालिको" यानी तत्काल फलदायक ।*
अपने फल को देने के लिए इसे काल नहीं है, इसलिए अकाल ही अकालिक है। *जितना जितना धर्म/ धम्म के मार्ग पर आगे बढ़ते रहेंगे, धम्म अभ्यास करते रहेंगे, उतना उतना फल तुरंत मिलता है ।*
एहिपस्सिको" यानी *आओ और देखो कहलाने योग्य ।*
*"ओपनेय्यिको" यानी उपर की ओर, आगे की ओर, निर्वाण की ओर ले जाने वाला । चित्त में लाने के योग्य होने से ओपनेय्यिक है।*
" पच्चतं वेदितब्बो विञ्ञूहीति" अर्थात विद्वानों द्वारा *प्रत्यक्ष अनुभूति के स्तर पर जानने योग्य है । कोई कहता, इसलिए विश्वास मत रखो, स्वयं अपने अनुभूति से जानो ।*
धम्म शब्द के अनेक अर्थ है ।
*तथागत सम्यक संबुद्ध की शिक्षा को धम्म कहते हैं। अष्टांगीक मार्ग जो दुःख मुक्ति का मार्ग है, जन्म-मृत्यु के चक्कर से मुक्ति का मार्ग उसे धम्म कहते है।*
धम्म और धर्म में अंतर है।
*धम्म यानी निसर्ग के नियम ।*
धम्म यानी कुदरत का कानून ।
*धम्म यानी गुण, धर्म, स्वभाव, लक्षण ।*
धम्म यानी चित्त ने जो धारण किया, उसे भी धम्म कहते हैं ।
*एस धम्मो सनन्तनो, यही सनातन धम्म है।*
इन गुणों का बार बार अनुस्मरण करने से हमारे चित्त में ऐसे गुणों का विकास संभवित होता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चित्त को बल मिलता है। *मनोवैज्ञानिक प्रभाव सुदृढ़ होते जाता है और धम्म के रास्ते चलते चलते एक दिन निर्वाण की प्राप्ति होती है यानी दु:खों से मुक्ति हो जाती है। यही तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य है।*
"अट्ठंगिको अरिय पथो जनानं,
मोक्खप्पवेसो उजुको'व मग्गो।
धम्मो अयं सन्तिकरो पणीतो,
निय्याणिको तं पणमामि धम्मं।।
नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*सबका मंगल हो*
Comments
Post a Comment